
ये वेबसाइट हिंदी कहानियों, कविताओं, मेरे ख्यालों और सुलझे-अनसुलझे सवालों का संग्रह है।

भागता शहर
भागता शहर, दो पहिये, चार पहिये । दैत्याकार वाहन । समय के चक्र जैसे दौड़ते पहिये। ये शहर नहीं रुकने वाला।

हैप्पी बर्थडे सुधा
तुम मानोगी नहीं लेकिन आज गज़ब की स्फुर्ती है शरीर में। घुटना बोल रहा है जगजीवन बाबु जाईये दौड़ आईये। आखिर हमारी सुधा का बर्थडे है। यहीं तो है मेरा वेलेंटाइन। याद है तुम कैसे शर्मा जाती थी। मेघा देख लेगी, मेघा सुन लेगी। यहीं रट लगा रखती थी। बाप हो गया तो क्या बीवी से प्यार करना छोड़ दूँ?

अकेलापन
तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी और रोज़ी-रोटी की भागदौड़ में खुद के लिए समय निकल पाना मुश्किल हो जाता है। इन्सान के भीतर उसकी हर समस्या का हल छुपा होता है। लेकिन शोर इतना है की हम अपने अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाते। कुछ समय निकालिये। खुद से बात कीजिये।
हिंदी शायरी
नितेश मोहन वर्मा द्वारा

“तुझे इल्ज़ाम देने का हक खो दिया मैंने।
मैं खामोश रहा, मैं भी गुनहगार हूँ।”
“उल्टे कदम कुछ दूर चल साथ मेरे ऐ वक्त।
उन लम्हों को फिर से जी लेना चाहता हूँ मैं।”
“भूल न जाए ये ज़माना।
ऐ मौत तेरे आने से पहले,
कुछ लफ्ज़ छोड़ जाऊँ किताबों में मैं।”