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ravivar manaate hain hindi kavita.

चलो आज रविवार मनाते हैं

बेवजह के कारणों में मशरूफ हम खुशियों के कई पलों को अनदेखा कर देते हैं। क्या करें ज़िन्दगी अब भागती नज़र आती है। चलो कोई बात नहीं। एक फैसला कर लेते हैं आज। सप्ताह के ६ दिन भागेंगे लेकिन एक दिन हम जीवन का, रिश्तों का, अपनों का त्यौहार मनायेंगे। और रविवार से अच्छा दिन कौन सा हो सकता है। तो चलिए, साथ मिल कर रविवार मनाते हैं।

Hindi Kavita Khud Se Baat | खुद से बात.

ज़रा खुद से बात कर लेना तुम

ज़रा खुद से बात कर लेना तुम। ज़िन्दगी की परेशानियों का ये एक बेहतरीन इलाज है। औरों की सुनने में, औरों से कहने में, हम अपने आप से बात नहीं कर पाते। थोड़ा समय खुद के लिए ज़रूर निकालें।

Kalyug Ki Durga Hindi Kavita.

कलयुग की दुर्गा

ये कहानी है एक अबला लड़की की जिसने कलयुग की दुर्गा बन अपने ऊपर हो रहे अत्याचार और अत्याचारी का नाश किया। ये लड़की औरों जैसी अबला न बन पायी। इसमें प्रतिकार करने की छमता थी। ये उस एक पल की कहानी है जब उसने साहस कर खुद को अभिमान दिया। नारी बन उसने नारीत्व को सम्मान दिया।

Mahashivaratri Hindi Poem. महाशिवरात्रि पर हिंदी कविता

भोले तेरे दर पर आया हूँ

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक पवित्र त्यौहार है। ये कविता महाशिवरात्रि पर भगवान् शिव की अर्चना करने के लिए है। इस दिन भगवान शिव की पूजा,अर्चना की जाती हैं, उनके लिए व्रत भी रखा जाता है ओर मान्यता है की इस दिन मांगी हुई इच्छा अवश्य पूर्ण होती है।

जय जगन्नाथ.

जय जगन्नाथ

जगन्नाथ के देश में, परदेसी के भेस में। खाली झोली, तेज़ है बोली - जय जगन्नाथ। पूरी के संकरे रास्तों से होते हुए आप पहुँच जायेंगे भगवान् जगन्नाथ के विशाल मंदिर। दिवाली के शुभ अवसर पे मैंने जगन्नाथ पूरी की यात्रा की।

A temple on cuttack road used as cover image for hindi poem Kulhad And Sawaal.

कुल्हड़ और सवाल

सवेरे सात बजे, बिना इज़ाज़त किसी भले मानस की काली स्कूटर पे बैठ | चेहरे पर खिलती धूप, बीच बाजार अंगड़ाई ली, हाथ पाँव लिया ऐंठ | भुबनेश्वर में सवेरे चाय पीने निकला और चाय की चुस्कियों के साथ आपके लिए ये एक छोटी सी कविता लिख डाली |

उड़ीसा का एक मंदिर.

एक नयी शुरुआत, कुछ अनजान दोस्तों के साथ । ओडिशा में मेरा स्वागत है

मैं आ पहूंचा हूँ उड़ीसा। बाहर बारिश हो रही है और मैं कॉफी शॉप में ब्लैक कॉफी का सहारा ले आपसे बात कर रहा हूँ। क्यूँ ? अरे ये तो बताया हीं नहीं अब तक।