मणिपुर त्रासदी पर हिंदी कविता लिखने की क्या आवश्यकता थी? इसका क्या परिणाम होगा? क्या दोषियों को सज़ा मिलेगी? क्या हम समाज में किसी सकारात्मक बदलाव की अपेक्षा कर सकते हैं? मैं नहीं जानता।
मणिपुर के उस वायरल वीडियो को देख जब सारा देश गुस्से से उबल रहा है, मैंने कविता के माध्यम से अपना क्रोध प्रकट किया है।
मणिपुर त्रासदी पर हिंदी कविता – “द्रौपदी लाचार हुई”
इस हिंदी कविता का उद्देश्य क्या है?
एक पैगाम लाया हूँ
देश की बेटियों के नाम लाया हूँ
वीर अब कोई रहा नहीं
जो जाग जाए वीराँगना कोई
समझूँगा मैं शायर किसी तो काम आया हूँ
मैंने अपनी एक कविता “कलयुग की दुर्गा” में ये बात कही थी:
“कुछ लड़कियाँ और औरतें अत्याचार की ऐसी कगार पर हैं की उनके उत्थान का ज़िम्मा अब बस देवी की कटार पर है।“
अब कलयुग में दुर्गा या काली माँ का अवतार क्या होगी कोई? राह तकने का समय नहीं है। नारी को स्वयँ देवी का रूप और फूलों का श्रृंगार त्याग, अब चंडी का अवतार बनना होगा। हाँथों में देवी की कटार ले इन्साफ करना होगा।
क्या और कोई रास्ता है?
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