आज मैंने एक नयी उड़ान भरी है । जीवन के चालीसवें वर्ष में एक धूंधली मंज़िल की तलाश में । मैं यूँ हीं नहीं कहता ज़िंदगी एक तलाश है ।

अगले कुछ दिन या कहूँ तो कुछ हफ्ते मेरी परीक्षा लेने वाले हैं । मैं क्या करना चाहता हूँ, कैसे करना चाहता हूँ ? सवाल कई, जवाब एक भी नहीं । चलिये आपको सवालों से रु-ब-रु कराया जाये ।

मैं आ पहूंचा हूँ ओडिशा।

बाहर बारिश हो रही है और मैं कॉफी शॉप में ब्लैक कॉफी का सहारा ले आपसे बात कर रहा हूँ । वैसे बता दूँ मैं इस समय भुबनेस्वर में हूँ ।

क्यूँ ? अरे ये तो बताया हीं नहीं अब तक । बात कुछ ये है कि चंद दिनों पहले मैने अपने दिवंगत माता – पिता की याद में एक नया प्रयास शुरु किया है – विद्यामोहन.

विद्यामोहन हमारे प्रिय माता-पिता – स्वर्गीय श्रीमती विद्या वर्मा और श्री मोहन प्रसाद वर्मा को श्रद्धांजलि है।

हमारा मिशन बेरोजगार युवाओं और छोटे व्यवसायों को संलग्न करना, शिक्षित करना और सशक्त बनाना है। और मैं नितेश वर्मा, आपका दोस्त, विद्यामोहन का संस्थापक और मुख्य स्वयंसेवक हूं। हमारा मिशन 10000 परिवारों के जीवन में प्रत्यक्ष सकारात्मक प्रभाव पैदा करना है । तो ये है भारत में बेरोजगार युवाओं की मदद के लिए एक मिशन, एक छोटी सी कोशिश ।

इस मिशन को पूरा करने के लिये, मैं भारत के विभिन्न प्रदेशों में कुछ वक़्त बिताऊँगा । इसी सिलसिले में मैं आ पहूंचा हूँ ओडिशा ।

ओडिशा क्यूँ ?

कइयों ने ये सवाल किया । आप भी करें । कुछ बातें हैं –

पहला, तमाम संभावनाओं के बावजूद इस प्रदेश की गिनती भारत के विकसित प्रदेशों में नहीं होती है । मेरी तरह, ओडिशा भी अपनी मंज़िल की ऒर अग्रसर है ।  

दूसरा – ओडिशा से एक लगाव सा हो रखा है मुझे । जिस प्रकार ओडिशा ने खुद को प्रतिवर्ष आने वाले समुद्री तूफान के लिये तैयार किया । जैसे अन्य प्रदेशों की सहायता की, तब जब देश ऑक्सीजन के सप्लाई की कमी से संघर्ष कर रहा था । और जिस प्रकार ओडिशा ने हॉकी का समर्थन किया और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया ।

तीसरा – यहाँ का स्वादिष्ट भोजन ।

जवाब मिला या कुछ और जिरह बाकि है ? अगर है तो पूछिये । संकोच न करें 😊

क्यूँ का जवाब मैंने कुछ कुछ दे दिया । बात आती है “कैसे” । ये अभी मेरी उलझन है । इस पहेली को सुलझा लूँ, फिर आपको बताया जायेगा । तो सब्सक्राइब करें । अभी ।

खुशखबरी ये है की ओडिशा के अनजान दोस्तों ने खुले दिल से मेरा स्वागत किया है। अगले कुछ दिनों में मैं इनमें से कुछ दोस्तों से मिलने वाला हूँ। उनकी सहायता से ये उलझन आसान होगी ।

तो लौट कर आईये और अगले पोस्ट में पढ़ें इन मुलाकातों का विवरण । आशीर्वाद बनायें रखें। आपका दोस्त – नितेश वर्मा।

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