दिन भर भूखा बैठा रहा
रात के इंतजार में।
मजदूरी कर लौटी मां ने
सर पर हाथ फेर
रोटी दी प्यार से।
बैठा रहा कुछ देर
ले रोटी वो हाथ में।
थकी हुई मां भी
खाएगी साथ में।
हमारे लिए वो एक रोटी
उसके लिए अनमोल है।
इसलिए कहते हैं
ये दुनिया प्यारे गोल है।
दिन भर भूखा बैठा रहा
रात के इंतजार में।
मजदूरी कर लौटी मां ने
सर पर हाथ फेर
रोटी दी प्यार से।
बैठा रहा कुछ देर
ले रोटी वो हाथ में।
थकी हुई मां भी
खाएगी साथ में।
हमारे लिए वो एक रोटी
उसके लिए अनमोल है।
इसलिए कहते हैं
ये दुनिया प्यारे गोल है।
वर्तमान का यथार्थ चित्रण।
धन्यवाद तारा जी 🙏
👍🌷