Hindi Poem about Loneliness
तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी और रोज़ी-रोटी की भागदौड़ में खुद के लिए समय निकल पाना मुश्किल हो जाता है। इन्सान के भीतर उसकी हर समस्या का हल छुपा होता है। लेकिन शोर इतना है की हम अपने अंतर्मन की आवाज़ सुन नहीं पाते। कुछ समय निकालिये। खुद से बात कीजिये।
एक अरसा हो गया
मुझे खुद से बात किये
ऐ मेरे मन
तुझसे मुलाकात किये ।
पहला प्यार
जीवन की पहली हार
तू ही तो हमराज़ था
कैसे तू भांप लेता था?
बेचैनी, भय, निराशा
कोई भी हो मुशकिल
एक तू ही तो पास था ।
कहीं खो गया अब तू
ज़िन्दगी की रफ़्तार में
भागती ज़िन्दगी
हाँफती ज़िन्दगी।
सहारा ढूंढ़ती
हर झरोखे से
झाँकती ज़िन्दगी।
मैं थक चुका हूँ
आ ढून्ढ ले मुझे इस भीड़ में
चल किसी पेड़ की छाँव में
बैठ कर
एक खाली पड़ी बेंच पर
फिर बात करें
मुलाकात करें।
2 विचार “अकेलापन&rdquo पर;