तु सहती रही
पर हँसती रही।

वो सहमी चुप्पी
मैंने कभी न तेरा दर्द जाना।

तेरे अरमानों का कत्ल करता रहा
तेरे समर्पण से खुद को मर्द माना।

woman crying. hindi poem on domestic violence.
Photo by Kat Jayne from Pexels

आँखों में सवाल, होंठों पे कंपन क्युँ है?
कर सकती हो इन्कार।
गर मन में है विरोध
तो तन का ये समर्पण क्युँ है?

Leave a Reply