आज संग मेरे है मेरी तन्हाई।
मिल गया मौका बीते दिनों को
मेरे अतीत ने ली अंगड़ाई।
आज फिर तुम्हारी याद आयी।
***
याद है वो तुमसे टकरा जाना
फिर गिरना तुम्हारे हाँथो से उन किताबों का।
वो पह्ली बार मिले थे हम तुम
फिर चला था सिलसिला कई मुलाकातों का।
अब ना कोई मुलाकात होती है
मुलाकातों मैं ना कोई हसीन बात होती है।
अब बस मैं हूँ
और संग है तन्हाई।
आज फिर तुम्हारी याद आयी।
***
याद हैं वो इंतज़ार के पल मुझे
हर पल की उम्र जब बढ़ती हीं जाती थी।
था तन्हा मगर मैं तन्हा नहीं था।
तुम नहीं तो
तुम्हारी याद आती थी।
आज भी है याद तुम्हारी
मैं अकेला हूँ
फिर क्यूँ ये एहसास है?
शायद तुम्हारे आने की
खत्म अब हर आस है।
तेरे इंतज़ार में आँखें पथराई।
आज फिर तुम्हारी याद आयी।
Nicely written 👌👌
Thanks Yogesh ji