बेवजह के कारणों में मशरूफ हम खुशियों के कई पलों को अनदेखा कर देते हैं। क्या करें ज़िन्दगी अब भागती नज़र आती है। चलो कोई बात नहीं। एक फैसला कर लेते हैं आज। सप्ताह के ६ दिन भागेंगे लेकिन एक दिन हम जीवन का, रिश्तों का, अपनों का त्यौहार मनायेंगे। और रविवार से अच्छा दिन कौन सा हो सकता है। तो चलिए, साथ मिल कर रविवार मनाते हैं।

चलो आज रविवार मनाते हैं,
6 इंच की स्क्रीन से बाहर निकल नए यार बनाते हैं।
यादों की आलमारी में दराज़ें कुछ खाली हैं अभी
चलो नई यादें दो चार बनाते हैं।

दोस्ती पे कविता हिंदी में | चलो आज रविवार मानते हैं, नए यार बनाते हैं

जीवन का ये पहिया
देखो घूमता ही जाता है
जो पीछे छूटा मोड़
फिर बार बार आता है
उस मोड़ पर जो रिश्ता छूटा
ये मत सोचो किसने छोड़ा
किसने तोड़ा? कैसे टूटा?
वो रिश्ता और इक बार बनाते हैं
चलो आज रविवार मनाते हैं।

इस पहिये से सीखो तुम
ज़रा तुम भी घूमो
खुशियों के पल दोहराओ
धूप में पिघलती कुल्फी खाओ
फिर सावन के झूले झूलो
गम को अगर हराना है
खुशियों को बहुमत में लाना है
झाँको यादों की आलमारी में
चल खुशियों का त्यौहार मनाते हैं
चलो आज रविवार मनाते हैं।

दुःख जो है चट्टान है
सुख है सुन्दर मोतियों की माला
छोटे पलों में बिखरी खुशियों को धागे में पिरोना है
एक साथ पिरो लो इनको तो इनमें राम उभर आते हैं
फिर तो ये चट्टान भी देखो मखमल का बिछौना है
समेट लो खुशियाँ और फिर बाँटो इनको
चल मोतियों की माला से औरों का सँसार बसाते हैं
चलो आज रविवार मनाते हैं।


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