भागता शहर
भागता शहर, दो पहिये, चार पहिये । दैत्याकार वाहन । समय के चक्र जैसे दौड़ते पहिये। ये शहर नहीं रुकने…
हिंदी कहानियाँ, कवितायेँ, ख़याल
भागता शहर, दो पहिये, चार पहिये । दैत्याकार वाहन । समय के चक्र जैसे दौड़ते पहिये। ये शहर नहीं रुकने…
तुम मानोगी नहीं लेकिन आज गज़ब की स्फुर्ती है शरीर में। घुटना बोल रहा है जगजीवन बाबु जाईये दौड़ आईये।…
तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी और रोज़ी-रोटी की भागदौड़ में खुद के लिए समय निकल पाना मुश्किल हो जाता है। इन्सान के…
जगजीवन बाबू को सेवानिवृत हुए ८ साल हो चुके हैं। २ साल पहले उनकी धर्मपत्नी सुधा का देहाँत हो गया…
कवि अपनी प्रेमिका के इंतज़ार में अपना जीवन यूँ हीं व्यर्थ कर रहा है। वक़्त उसके लिए उसी मोड़ पर…
"तेरे जाने की वजह" एक प्रेमी की कुछ पंक्तियों का संग्रह है। अपनी प्रेमिका से अलग होने के बाद, प्रेमी…
शाँत रहने वाली रेशमी। सादा रूप और सीधा व्यवहार। अपने में ही गुम रहना। मानो पूरी बस में वो अकेली…