मैं ढून्ढ लूँगा अपना रब इंसानों में कहीं, पत्थरों से मैं यूँ भी बात करता नहीं। इतना है खून बहा, इतनी है लाशें देखी । तलवारों से, हत्यारों से, अब मैं डरता नहीं।
मैं ढून्ढ लूँगा अपना रब इंसानों में कहीं, पत्थरों से मैं यूँ भी बात करता नहीं। इतना है खून बहा, इतनी है लाशें देखी । तलवारों से, हत्यारों से, अब मैं डरता नहीं।