ये बेज़ुबान नहीं हैं

ये बेज़ुबान नहीं हैं – हिंदी कविता

अलग है ज़ुबाँ इनकी, ये बेज़ुबान नहीं हैं। क्या हुआ जो ये इन्सान नहीं हैं? इन्सानों के जैसे जानवर बेवजह के मसलों में नहीं उलझते हैं। ये छोटी सी हिंदी कविता इन मासूमों की कुछ खूबियों की सराहना करने के लिए लिखी है मैंने।