बाप की कड़ाई, डाँट और रोक-टोक के कई मायने होते हैं। औलाद की भलाई और तरक्की में ये रोड़ा नहीं हैं। जितना औलाद बढ़ेगी, उतना ही माँ-बाप का कद।
पिता पर कविता – “पापा कहते थे”
आज अपने अल्फ़ाज़ों के तरकश से एक तीर लिया है मैंने। पिता पर कविता और गीत लिखा है मैंने। पिता के महत्व को शब्दों में बयान करना मुमकिन नही। एक एहसास है जो प्रस्तुत कर रहा हूँ।