आज आसमान खुल कर बरस रहा है। मुंबई के महलों और झोपड़ों में कोई भेदभाव नहीं करता। ज़रूरी हो कर भी आसमान का ये बरसता पानी छत की तलाश में भटकती माँ के लिए मुसीबत बन जाता है।
आज आसमान खुल कर बरस रहा है। मुंबई के महलों और झोपड़ों में कोई भेदभाव नहीं करता। ज़रूरी हो कर भी आसमान का ये बरसता पानी छत की तलाश में भटकती माँ के लिए मुसीबत बन जाता है।