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ये कैसी है निगाह तेरी विषैले तीर सी चुभती है निर्वस्त्र कर देती है बदन मेरा

नितेश मोहन वर्मा

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कहाँ छुप जाऊँ? घर से बाहर कैसे जाऊँ? इल्ज़ाम आता है बुरा है चलन मेरा

नितेश मोहन वर्मा

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घर हो, सड़क हो या दफ्तर हो लुटेरे छुपे हैं ताक में कैसे बढ़े अब कदम मेरा

नितेश मोहन वर्मा

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जब लुट जाती है बेटी कोई अखबारों में निन्दा कर ये चुप होते हैं कैसा मूक हुआ ये वतन मेरा

नितेश मोहन वर्मा

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जो बेटी की लाज न बच पाये क्या ही राम बनोगे तुम व्यर्थ है धरम - करम तेरा

नितेश मोहन वर्मा

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ये कैसी है निगाह तेरी निर्वस्त्र कर देती है बदन मेरा घर से बाहर कैसे जाऊँ? इल्ज़ाम आता है बुरा है चलन मेरा

नितेश मोहन वर्मा