कवि अपनी प्रेमिका के इंतज़ार में अपना जीवन यूँ हीं व्यर्थ कर रहा है। वक़्त उसके लिए उसी मोड़ पर रुक गया जहाँ दोनों एक दुसरे से अलग हुए थे। इस हिंदी कविता “थोड़ी सी उम्र बाकी है” में वो अपने मन की व्यथा सुना रहा है।

हिंदी कविता “थोड़ी सी उम्र बाकी है”

ख़त्म है अब ज़िन्दगी
बस थोड़ी सी उम्र बाकी है।
तुम आओ तो दम निकले
ज़िन्दगी थोड़ी इधर
थोड़ी उधर बाकी है।

मैं तो कब का जीना छोड़ देता
तूने हीं कुछ पल दिए उधार
मैं आउंगी ये वादा किया था
उस वादे का थोड़ा असर बाकी है।

तुम साथ बैठो
इक शाम डूबे
वो थोड़ा उजाला
वो थोड़ा अँधेरा।
ऐसे में मैं तेरा रूप देखूँ
जीवन में ये इक कसर बाकी है।

न मैं कह पाया
न तुम सुन पाये
कम्बख्त तब ये फेसबुक भी नहीं था।
ट्विटर भी होता तो शायद बात बनती
अब तो खैर
बस अगर – मगर बाकी है।

तुम आओ तो दम निकले
ज़िन्दगी थोड़ी इधर
थोड़ी उधर बाकी है।

2 विचार “थोड़ी सी उम्र बाकी है&rdquo पर;

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