शाँत रहने वाली रेशमी। सादा रूप और सीधा व्यवहार। अपने में ही गुम रहना। मानो पूरी बस में वो अकेली हो। पीले रंग से शायद ज्यादा लगाव था उसे। कभी पीली कुर्ती, कभी पीला दुपट्टा। कभी पीली काँच की चूड़ियां,कभी पीली बिंदी। जूतियों की कढ़ाई में निखार भी पीले रंग का था।
समर्पण
तेरे अरमानों का कत्ल करता रहा, तेरे समर्पण से खुद को मर्द माना। मर्दानगी का खोखला एहसास।
झुमकी
रोटियां बनाते बनाते किचन की ताप में धीरे धीरे झुमकी की खूबसूरती पसीने के साथ बह चुकी थी। जब मन की टूटी उम्मीदें धीरे धीरे खामोश आक्रोश में बदल जाती हैं तो तन की खूबसूरती भी साथ छोड़ देती है।
रात और मैं
रात की खामोशी और तन्हाई जीवन सँघर्ष में एक अल्पविराम के जैसे हैं।
भोले अब तू हीं राह दिखा
सब अनबन है, उलझन है । भोले अब तू हीं राह दिखा | जय भोलेनाथ । जय शिव शंकर |
लॉक डाउन के किस्से
लॉक डाउन मेँ पति पत्नी की नोंक झोक ।
बेघर
इनका कोई पक्का ठिकाना नहीं होता है। महानगरों में मेहनत मज़दूरी कर अपने परिवार का पोषण करने वाले ये मेहनतकश हर रोज़ बेघर होते हैं।